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इक्कीशवीं सदी में शाकद्वीपीय समाज में सामाजिक परिवर्तन की दिशा और दशा _

  इक्कीशवीं सदी में शाकद्वीपीय समाज में सामाजिक परिवर्तन की दिशा और दशा _    डॉ   विजय प्रकाश शर्मा   (यह डॉ विजय प्रकाश शर्मा द्वारा संपादित पुस्तक “समकालीन भारतीय समाज- 21 वीं सदी की शुरुआत में ” , अनमोल पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली, 2015 से प्रकाशित लेख से निकाला गया है)  परिवर्तन सामाजिक नियम है , मानव समाज में पूरे विश्व में विगत ३० वर्षों में युगांतरकारी परिवर्तन हुए हैं। विज्ञान आधारित अनुसंधानों ने विश्व को एक ब्रह्मांडीय ग्राम की तरह निकट ला दिया है , दूरियां घट गई हैं , नए अविष्कारों ने उसे आभासीय दूनियां के माध्यम से अलग -थलग पड़े समाज और परिवारों से फिर से जोड़ दिया है। यह इस सदी की सबसे बड़ी घटना है। ऐसे में शाकद्वीपीय समाज भी अछूता नहीं रह गया है , यह समाज अब एक द्वीप की तरह कटा हुआ नहीं है बल्कि विराट विश्व का एक हिस्सा बन गया है। अब यह समाज अपने गरूड़ आरोह के आगमन की कथा से बहुत आगे आ चूका है। नए पुरातात्विक अनुसंधानों ने इस समाज को कृष्ण - शाम्ब की समकालिता से पूर्व के उनके भारत निवास के सत्य पर मुहर लगा दी है। फिर भी ...